राजधानी में युवा संस्था’ बनी प्रतियोगी परीक्षाओं की मुफ़्त 25वर्षों से पाठशाला,

राजधानी में युवा संस्था’ बनी प्रतियोगी परीक्षाओं की मुफ़्त 25वर्षों से पाठशाला,

वेब-डेस्क :- राजधानी रायपुर में एक ऐसी संस्था है जो पिछले ढाई दशक से बिना किसी फीस के छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करा रही है। इस संस्था का नाम है ‘युवा संस्था’, और यह अब तक 530 से ज्यादा गरीब व जरूरतमंद युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने में सफल रही है। यहां से पढ़े छात्र आज डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, बैंक मैनेजर, पटवारी और रेलवे स्टेशन मास्टर जैसे पदों पर कार्यरत हैं।

गरीब छात्रों के सपनों को पंख दे रही संस्था

इस संस्था में खास बात यह है कि यहां आने वाले अधिकतर छात्र आर्थिक तंगी का सामना कर रहे होते हैं। उनके पास न तो कोचिंग की मोटी फीस भरने के पैसे होते हैं, न ही पढ़ने के लिए उचित संसाधन। लेकिन ‘युवा संस्था’ उनके लिए एक ऐसा ठिकाना बन चुकी है, जहां सिर्फ पढ़ाई नहीं होती बल्कि एक नई उम्मीद की शुरुआत होती है।

दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय भी करीब 110 छात्र यहां नियमित रूप से पढ़ाई कर रहे हैं। जो छात्र पहले यहां से पढ़कर निकले हैं, वही अब संस्था का किराया उठा रहे हैं और खाली समय में आकर पढ़ा भी रहे हैं।

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संस्था की नींव रखने वाले एम. राजीव की प्रेरक कहानी

इस संस्था के पीछे खड़े हैं एम. राजीव, जो वर्तमान में जीएसटी विभाग में अध्यक्ष हैं। जमशेदपुर में जन्मे राजीव का बचपन बेहद गरीबी में बीता। किताबें खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 1994 में सरकारी नौकरी हासिल की। इसके बाद वह रायपुर आ गए और 2001 में अपने घर के पास के गरीब बच्चों को पढ़ाना शुरू किया।

शुरुआत में उन्होंने कालीबाड़ी स्कूल के एक कमरे में रोज़ दो घंटे पढ़ाना शुरू किया। कुछ सालों में बच्चों की संख्या बढ़ने लगी, और 2019 में उन्होंने सिविल लाइन क्षेत्र में एक भवन किराए पर लेकर उसे पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया। आज भी इस कोचिंग का किराया वे छात्र उठाते हैं, जिन्होंने यहीं से अपनी तैयारी की थी और आज अच्छी नौकरी में हैं।

समाज को लौटाई शिक्षा की सौगात

यह संस्था सिर्फ पढ़ाई तक सीमित नहीं है। यहां से निकले पूर्व छात्र अपनी किताबें, नोट्स और मार्गदर्शन भी नए छात्रों को देते हैं। परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए यह एक सपोर्ट सिस्टम जैसा बन चुका है। यहां सिर्फ सरकारी नौकरी की ट्रेनिंग नहीं मिलती, बल्कि जीवन में संघर्ष से जीतने की प्रेरणा भी मिलती है।

‘युवा संस्था’ की वजह से बदले सैकड़ों परिवारों के हालात

एम. राजीव कहते हैं, “मैं नहीं चाहता कि कोई और बच्चा मेरी तरह किताबों के लिए तरसे। यह संस्था मेरा सपना नहीं, मेरी जिम्मेदारी है।” उनकी इस सोच ने अब तक सैकड़ों परिवारों की आर्थिक स्थिति और सामाजिक पहचान को बेहतर बनाया है।

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