बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान को एक बड़ी सफलता मिली है। पूर्वी बस्तर डिवीजन की परतापुर एरिया कमेटी और पश्चिम बस्तर डिवीजन की भैरमगढ़ एरिया कमेटी से जुड़े कुल 24 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया है। आत्मसमर्पण करने वालों में 28.50 लाख रुपए के इनामी 14 माओवादी भी शामिल हैं, जिनमें कई संगठन के उच्च पदों पर लंबे समय से कार्यरत थे।
पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पित माओवादियों में एरिया कमेटी सदस्य (ACM), पार्टी सदस्य, AOB डिवीजन के पीएलजीए सदस्य, माड़ डिवीजन के प्लाटून सदस्य, KAMS के अध्यक्ष, जनताना सरकार के शिक्षक, और विभिन्न मिलिशिया कंपनियों के डिप्टी कमांडर शामिल हैं।
यह सफलता डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, कोबरा और केरिपु बल के संयुक्त अभियान तथा सरकार की प्रभावी पुनर्वास और आत्मसमर्पण नीति का परिणाम है। आत्मसमर्पण कार्यक्रम बीजापुर के पुलिस उपमहानिरीक्षक देवेंद्र सिंह नेगी, पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित किया गया। आत्मसमर्पण करने वाले सभी माओवादियों को सरकार की पुनर्वास नीति के तहत 50-50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई।
प्रमुख आत्मसमर्पित माओवादी
इस सूची में 5 लाख के इनामी सुदरू हेमला उर्फ राजेश और कमली मोड़ियम उर्फ उर्मिला तथा 3 लाख के इनामी जयमोती पूनेम जैसे कुख्यात नाम भी शामिल हैं। इनमें कई माओवादी पिछले 15 से 20 वर्षों से संगठन से जुड़े थे और विभिन्न रणनीतिक जिम्मेदारियां संभाल रहे थे।
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आत्मसमर्पण के मुख्य कारण
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद, आदिवासी समाज पर निरंतर अत्याचार, माओवादी विचारधारा से मोहभंग और सरकार द्वारा अंदरूनी इलाकों में चलाई जा रही विकास योजनाओं ने माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया। ‘नियद नेल्ला नार’ योजना और पुनर्वास नीति जैसे प्रयासों ने भी इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई है।
नक्सल अभियान का आंकड़ा
1 जनवरी 2025 से अब तक बीजापुर जिले में कुल 213 माओवादी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, 203 ने आत्मसमर्पण किया है, जबकि मुठभेड़ों में 90 माओवादी मारे गए हैं। ये आंकड़े नक्सल उन्मूलन अभियान की दिशा में जिले की मजबूत प्रगति को दर्शाते हैं।
पुलिस अधीक्षक की अपील
बीजापुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने शेष माओवादियों से भी आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति ने पहले ही कई माओवादियों को नई राह दिखाई है और भविष्य में और भी अधिक आत्मसमर्पण की संभावना है। धीरे-धीरे बस्तर के नक्सलमुक्त होने का सपना साकार होता दिख रहा है।
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