क्या आपको भी लगता है बार-बार प्यास और पेशाब? फिर ये टेस्ट कराना जरूरी

क्या आपको भी लगता है बार-बार प्यास और पेशाब? फिर ये टेस्ट कराना जरूरी

क्या है बार-बार प्यास और पेशाब की समस्या ?

बार-बार प्यास लगना और अधिक पेशाब आना एक सामान्य लेकिन महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। इसे अनदेखा करना कभी-कभी गंभीर परिणाम उत्पन्न कर सकता है। इस प्रकार की समस्या का अनुभव होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं जिनमें जल-नियंत्रण का स्तर, शरीर में पानी की कमी, शारीरिक सक्रियता और मौसमी प्रभाव महत्वपूर्ण हैं।

पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन नहीं करने से शरीर में जल की कमी हो सकती है, जिससे बार-बार प्यास लग सकती है। वहीं, शारीरिक सक्रियता अधिक होने पर पसीना अधिक आता है, जिससे प्यास बढ़ जाती है। मौसमी प्रभाव, विशेषकर गर्मियों में, अधिक पसीना आना और जल की आवश्यकता को बढ़ा देता है।

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शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में जल का सेवन आवश्यक है, अन्यथा यह समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है। ब्लड शुगर स्तर की अनियमितता भी बार-बार प्यास का एक कारण हो सकती है, जो डायबिटीज का संकेत हो सकता है।

अक्सर बार-बार पेशाब आना भी एक स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। यह विभिन्न कारणों से हो सकता है, जैसे कि संक्रमण, ब्लड शुगर का असंतुलन, या फिर किडनी से सम्बन्धित समस्याएं। यह समस्या लोगों के दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकती है, जिससे कार्यक्षमता में कमी और व्यक्तिगत जीवन में परेशानी हो सकती है।

यदि आप बार-बार प्यास और पेशाब की समस्या का अनुभव कर रहे हैं, तो इसे नजरअंदाज न करें। यह आपके स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण सूचना हो सकती है और इसका समय पर निदान व उपचार आवश्यक है। समस्या की पहचान के लिए रक्त शर्करा का परीक्षण, मूत्र का परीक्षण, और अन्य आवश्यक चिकित्सीय परीक्षण कराना आवश्यक है।

समस्या के संभावित चिकित्सा कारण

बार-बार प्यास लगना और पेशाब आना कई चिकित्सा कारणों से हो सकता है, जिनमें डायबिटीज एक प्रमुख कारण है। डायबिटीज होने पर शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है, जिससे पेशाब अधिक आती है और प्यास भी ज्यादा लगती है। अगर आप बिना किसी स्पष्ट कारण के इन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं तो यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि आप अपने ब्लड शुगर की जांच कराएं।

दूसरा संभावित कारण किडनी के विकार हो सकते हैं। किडनी का सही तरीके से कार्य न करना शरीर में अपशिष्ट पदार्थों का जमाव करवा सकता है, जो पेशाब की बारंबरी का कारण बनता है। किडनी फ़ंक्शन टेस्ट कराके इस समस्या की पहचान की जा सकती है।

यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (UTI) भी बार-बार पेशाब का एक आम कारण है। यूटीआई होने पर पेशाब के समय जलन और असहजता का अनुभव हो सकता है। इस अवस्था में पेशाब का रंग भी बदल सकता है। UTI का निदान किया जा सकता है यूरिन टेस्ट के माध्यम से, और इसके लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग इलाज में किया जाता है।

हॉर्मोनल असंतुलन भी प्यास और पेशाब की अधिकता का कारण हो सकता है। विशेषतः, एंटी-डाययुरेटिक हार्मोन (ADH) का असंतुलन इन समस्याओं को जन्म दे सकता है। एडीएच का कार्य शरीर में पानी की मात्रा नियंत्रित करना होता है, और इसके कमी से पेशाब की अधिकता हो सकती है।

इसके अलावा, थायरॉयड की समस्याएं, न्यूट्रिशनल डिफिशिएंसी, और कुछ मानसिक विकार जैसे चिंता और तनाव भी इस समस्या के कारण हो सकते हैं। इन अवस्थाओं में उचित जांच और ट्रीटमेंट आवश्यक है। हर चिकित्सा कारण के संभावित लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं, इसलिए सही निदान के लिए चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

जब आपके शरीर में बार-बार प्यास और पेशाब की समस्या होती है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपको डायबिटीज की जांच कराने की आवश्यकता है। डायबिटीज के निदान के लिए कई प्रकार के टेस्ट किए जाते हैं, जो आपकी सेहत की सही स्थिति का पता लगाने में मदद करते हैं। सबसे पहले, ब्लड शुगर टेस्ट का उल्लेख करना जरूरी है। यह टेस्ट आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को मापता है। इसके लिए आपको खाली पेट रहना पड़ता है जिससे रात भर की उपवास के बाद आपका ब्लड शुगर लेवल मापा जाता है। अगले चरण में, एक ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट किया जा सकता है जिसमें आपको शक्कर से भरे घोल को पीने को कहा जाता है और फिर कुछ घंटों के अंतराल में आपका खून लिया जाता है।

यूरिन एनालिसिस भी एक महत्वपूर्ण टेस्ट है जिसमें आपके पेशाब का जांच किया जाता है। इसमें उपस्थित शुगर और प्रोटीन की मात्रा को मापा जाता है, जो डायबिटीज के संकेत हो सकते हैं। इसी के साथ, केटोन्स टेस्ट भी किया जाता है ताकि पता लगाया जा सके कि क्या आपके शरीर में केटोन्स की मात्रा बढ़ी हुई है। यह टेस्ट भी पेशाब का नमूना लेकर किया जाता है।

किडनी फ़ंक्शन टेस्ट भी आपकी जांच प्रक्रिया में शामिल होते हैं। यह टेस्ट आपकी किडनी की कार्यक्षमता को मापता है और बता सकता है कि डायबिटीज का आपकी किडनी पर क्या प्रभाव पड़ा है। इसमें रक्त और पेशाब के नमूने लेकर विभिन्न मार्करों की जांच की जाती है, जैसे कि सिरेम क्रिएटिनिन और यूरिया नाइट्रोजन के स्तर, जो आपकी किडनी की कार्यक्षमता को दर्शाते हैं।

इन सभी टेस्ट की प्रक्रियाओं के दौरान, सही तैयारी और नमूनों का सही समय पर जमा करना अनिवार्य है। सही और सटीक परिणाम पाने के लिए आपको डॉक्टर द्वारा निर्देशित सारी प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए। इस तरह की विस्तृत जांच आपको और आपके डॉक्टर को सही निदान और उपयुक्त उपचार की दिशा में अग्रसर करेंगे।

इलाज और बचाव के उपाय

बार-बार प्यास और पेशाब की समस्या डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं, और इससे निपटने के लिए कई तरह के उपाय उपलब्ध हैं। सबसे पहले, सही दवाइयों का सेवन आवश्यक है, जो ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखती हैं। इसके लिए चिकित्सक से परामर्श करना उत्तम रहेगा, ताकि वे आपकी शारीरिक स्थिति के अनुसार सही दवा की सिफारिश कर सकें।

दवाइयों के अतिरिक्त, आहार में भी सुधार जरूरी है। रिफाइंड शुगर के विकल्प जैसे कि फलों से मिलने वाली नैचुरल शुगर का उपयोग करना फायदेमंद रहता है। इसके अलावा, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन ब्लड शुगर को स्थिर रखने में मदद करता है। साबुत अनाज, दालें, हरी सब्ज़ियाँ और फलों का सेवन बढ़ाने से आपको बार-बार प्यास और पेशाब की समस्या पर कुछ हद तक काबू पाने में मदद मिलेगी।

जीवनशैली में परिवर्तन भी महत्वपूर्ण है। नियमित वर्कआउट और एक्सरसाइज ब्लड शुगर को नियंत्रित रख सकती हैं। रोज़ाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि से न केवल आपके शरीर का वजन नियंत्रित रहेगा, बल्कि इससे हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा भी कम होगा।

घरेलू उपायों में मेथी के बीज, करेला जूस, और गिलोय का उपयोग ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है। ये प्राकृतिक उपाय शरीर पर किसी भी प्रकार के हानिकारक प्रभाव नहीं डालते और लंबे समय तक उपयोग किए जा सकते हैं।

भविष्य में इस समस्या से बचने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच कराना आवश्यक है। इससे आपका रक्त शर्करा स्तर नियमित रूप से मॉनिटर होता रहेगा और समय पर निदान और उपचार संभव हो सकेगा। चिकित्सक द्वारा निर्धारित ब्लड शुगर मॉनिटरिंग को भी नियमित रूप से अपनाना चाहिए। इन उपायों को अपनाकर आप बार-बार प्यास और पेशाब की समस्या को काफी हद तक नियंत्रित और प्रबंधित कर सकते हैं।

Disclaimer: यह लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है.हम इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करते हैं | हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित समस्या के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें, हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है |

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