जानें किस उम्र में कितना सोना है जरूरी: 8 घंटे की नींद नहीं है पर्याप्त

जानें किस उम्र में कितना सोना है जरूरी: 8 घंटे की नींद नहीं है पर्याप्त

उम्र के हिसाब से पर्याप्त नींद का महत्व

उम्र के हिसाब से 8 घंटे की नींद पर्याप्त नहीं है, नींद हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर उम्र के लिए नींद की आवश्यकताएं भिन्न होती हैं, यह न केवल शरीर को पुनर्जीवित करती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यक्षमता, याददाश्त और संज्ञानात्मक सुधार में महत्वपूर्ण योगदान देती है। आम धारणा है कि 8 घंटे की नींद सभी के लिए पर्याप्त होती है, लेकिन वास्तविकता इससे भिन्न है। व्यक्ति के स्वास्थ्य और उसकी विशेष आवश्यकताओं के अनुसार नींद की मात्रा में भिन्नता होती है।

शारीरिक पुनरुत्थान के संदर्भ में, नींद के दौरान हमारा शरीर क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत करता है, इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है, और विभिन्न हार्मोनों का स्राव करता है जो विकास और विकासचक्र के लिए आवश्यक होते हैं। मांसपेशियों को पुनर्जीवित करना और ऊर्जा स्तर को बनाए रखना भी नियमित और पर्याप्त नींद पर निर्भर करता है। विशेषकर बच्चों और किशोरों के लिए, नींद की सही मात्रा उनकी शारीरिक वृद्धि के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

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मस्तिष्क की कार्यक्षमता की दृष्टि से, नींद की कमी मानसिक स्पष्टता और एकाग्रता को प्रभावित कर सकती है। यह पाया गया है कि जो लोग पर्याप्त नींद नहीं लेते, उन्हें निर्णय लेने, समस्या समाधान और रचनात्मकता में कठिनाई होती है। उनकी याददाश्त भी प्रभावित होती है, जो अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए विशेष चिंता का विषय है। यहां तक कि वयस्कों के लिए भी पर्याप्त नींद उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों में उत्पादकता और सामाजिक संबंधों को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।

स्नायविक स्वस्थ्यता के अलावा, व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास और मानसिक स्वास्थ्य भी उचित नींद पर निर्भर करता है। नींद की कमी से तनाव, चिंता, और अवसाद जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। इसलिए, नींद की उचित मात्रा और गुणवत्ता को बनाए रखना किसी भी स्वस्थ जीवन शैली का एक महत्वपूर्ण घटक है।

विभिन्न आयु वर्ग के लिए नींद के घंटे

नींद की आवश्यकता व्यक्ति की उम्र के साथ बदलती है, और यह विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा समय-समय पर अनुसंधान के माध्यम से स्पष्ट किया गया है। नवजात शिशुओं को अधिक नींद की आवश्यकता होती है जबकि वृद्ध लोग आमतौर पर कम सो सकते हैं। आइए विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के लिए अनुशंसित नींद के घंटों पर एक नजर डालें।

नवजात शिशुओं (0-3 महीने) के लिए, नींद की आवश्यकता अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्हें लगभग 14-17 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है। यह समय उन्हें मानसिक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है। इनकी दिनचर्या में नींद का बड़ा हिस्सा अनिवार्य रूप से शामिल है।

शिशु (4-11 महीने) के लिए, अनुशंसित नींद का समय 12-15 घंटे प्रतिदिन होता है। जबकि, छोटे बच्चे (1-2 वर्ष) के लिए, यह सिफारिश 11-14 घंटे की है। ये नींद के घंटे उनके विकास और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं।

बच्चे (3-5 वर्ष) के लिए, 10-13 घंटे की नींद की अनुशंसा की जाती है। इस उम्र में बच्चों की गतिविधियां बढ़ जाती हैं, और उचित नींद उनकी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मदद करती है। 6-13 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए, 9-11 घंटे की नींद की आवश्यकता होती है।

किशोर (14-17 वर्ष) के मामले में, 8-10 घंटे की नींद पर्याप्त मानी जाती है। किशोरावस्था के दौरान, नींद की अहमियत उच्च होती है क्योंकि यह उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में मदद करती है।

वयस्क (18-64 वर्ष) को आमतौर पर 7-9 घंटे की नींद की सलाह दी जाती है। इस आयु वर्ग के लोगों के लिए नींद उनकी जीवनशैली, स्वास्थ्य और व्यक्तिगत आवश्यकताओं पर निर्भर करती है।

वृद्ध लोगों (65 वर्ष और उससे अधिक) के लिए 7-8 घंटे की नींद पर्याप्त मानी जाती है। वृद्धावस्था में नींद की गुणवत्ता और इसकी निरंतरता सबसे महत्वपूर्ण होती है।

निष्कर्षतः नींद व्यक्ति की उम्र के साथ बदलती है और अच्छी नींद सभी आयु वर्गों के लिए जीवन की गुणवत्ता को सुधारने में प्रमुख भूमिका निभाती है। इसे तथ्य के रूप में माना जाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि उचित नींद सेहतमंद जीवन जीने का आधार है।

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पर्याप्त नींद न लेने के परिणाम

नींद की कमी स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है। पर्याप्त नींद न लेने से मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। नियमित रूप से नींद की कमी अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक विकारों का कारण बन सकती है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के अतिरिक्त, शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसकी हानिकारक प्रभाव होते हैं।

हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी गंभीर स्थितियों का खतरा अधिक हो जाता है, क्योंकि नींद की कमी से हृदय की धड़कन और रक्तचाप पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसके अतिरिक्त, मोटापा और मधुमेह का भी खतरा बढ़ सकता है। शरीर की चयापचय प्रक्रिया पर नींद की कमी का प्रभाव पड़ता है, जिससे वजन बढ़ने और इंसुलिन संवेदनशीलता में कमी हो सकती है।

नींद की कमी से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो जाती है, जिससे शरीर संक्रामक रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। लंबे समय तक नींद की कमी से रोग प्रतिरोधक तंत्र को कमजोर करने वाली सूजन उत्पन्न हो सकती है।

समय के साथ, नींद की कमी जीवन की गुणवत्ता और दैनिक क्रियाकलापों को भी प्रभावित कर सकती है। ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई, स्मरण शक्ति की समस्या, और समग्र उत्पादकता में कमी आ सकती है। सुरक्षित ड्राइविंग और कामकाज के दौरान सतर्क न रहने की क्षमता के कारण दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ जाता है।

अतः यह स्पष्ट है कि उम्र के हिसाब से सही मात्रा में नींद लेना अत्यंत आवश्यक है। नींद सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए भी अनिवार्य है।

सामान्य नींद से संबंधित सुझाव

नींद की गुणवत्ता को सुधारने और विभिन्न आयु समूहों के लिए पर्याप्त नींद हासिल करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव और उपाय अपनाए जा सकते हैं। सबसे महत्वपूर्ण सुझावों में से एक है नियमित नींद की दिनचर्या बनाना। एक निश्चित समय पर सोना और जागना शरीर की नैसर्गिक घड़ी को ठीक रखने में मदद करता है, जिससे नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।

नींद के समय का निर्धारण भी अत्यंत आवश्यक है। सोने और जागने का समय निर्धारित करके, बॉडी क्लॉक का तालमेल बनाए रखा जा सकता है। इसके साथ ही, खानपान का भी ध्यान रखना जरूरी है। सोने से पहले भारी भोजन करने से बचें, क्योंकि यह पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है और अच्छी नींद में बाधा डाल सकता है।

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कम उपयोग भी नींद की गुणवत्ता सुधारने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। सोने से पहले मोबाइल फोन, टैबलेट, और लैपटॉप का उपयोग कम करने से मस्तिष्क को शांति मिलती है और मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है, जो नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है।

इस प्रकार की आदतों को अपनाकर, नींद संबंधी विभिन्न समस्याओं से निपटा जा सकता है। नींद की दिनचर्या का पालन करने से और सोने के घंटे सुनिश्चित करने से नींद की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखा जा सकता है। यह न केवल शरीर के लिए फायदेमंद है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

Disclaimer: यह लेख पाठक की जानकारी और जागरूकता बढ़ाने के लिए है.हम इस लेख में प्रदत्त जानकारी और सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करते हैं | हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित समस्या के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें, हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है |

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